संग्रहालय परिसर में सुरक्षित प्रस्तर लेख में इस संग्रहालय
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शकों के विषय में प्रारम्भिक जानकारी दारा के नक्शी प्रस्तर लेख से मिलती है।
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शकों के विषय में प्रारम्भिक जानकारी दारा के नक्शी प्रस्तर लेख से मिलती है।
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पालि सामयिक दीपवंश, महावंश और चालुवंश, कई प्रस्तर लेख तथा भारतीय और बर्मा के सामयिक लेख छठी सदी ईसापूर्व के श्रीलंका की जानकारी देते हैं ।
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पालि सामयिक दीपवंश, महावंश और चालुवंश, कई प्रस्तर लेख तथा भारतीय और बर्मा के सामयिक लेख छठी सदी ईसापूर्व के श्रीलंका की जानकारी देते हैं ।
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पालि सामयिक दीपवंश, महावंश और चालुवंश, कई प्रस्तर लेख तथा भारतीय और बर्मा के सामयिक लेख छठी सदी ईसापूर्व के श्रीलंका की जानकारी देते हैं ।
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इनके अतिरिक्त एक प्रस्तर लेख में कन्नौज के यशोवर्मन और ताम्रपट्ट लेखों में धर्मपाल और देवपाल (बंगाल के पाल नरेश) नामक राजाओं का भी उल्लेख है।
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सरगुजा अंचल कलचुरियों के आधिपत्य में भी रहा वर्तमान सरगुजा के महेशपुर से प्राप्त प्रस्तर लेख के आधार पर प्रोफ़ेसर केडी बाजपेयी के अनुसार लेख की रचना 9 वीं शताब्दी ईं के मध्य की प्रतीत होती है।
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इस प्रस्तर लेख पर, इस क्रिया को देखकर सत्यापित करने वालों में श्री अमृत बी, ठक्कर, श्री गोस्वामी गणेशदत्त जी (लाहौर) श्री सीताराम खेमका (बिरला मिल दिल्ली के सिक्रेटरी) मुख्य इंजीनियर श्री विलसन और प्रसिद्ध साहित्यकार श्री वियोगीहरि के नाम अंकित हैं।